6147021

Total Users

288

Live Users

ASI ने JPC को सौंपी 53 ऐतिहासिक इमारतों की सूची, कर्नाटक के बीदर का किला और आगरा की जामा मस्जिद भी वक्फ की संपत्ति

रिपोर्ट : NewsNextIndia
Uttarpradesh | आगरा

01-01-1970

414 ने देखा



NewsNext | हिंदी न्यूज़ | Hindi Samachar | Latest News

वक्फ बिल पर बनाई गई संसद की संयुक्त समिति बिल की समीक्षा के लिए लगातार बैठकें कर रही है. इसी सिलसिले में पिछले हफ्ते शुक्रवार को समिति ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अधिकारियों को उनकी राय जानने के लिए बुलाया था. बैठक में एएसआई ने एक प्रजेंटेशन दिया जिसमें कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं.

आर्कियालॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के मुताबिक महाराष्ट्र के औरंगाबाद (संभाजीनगर) में स्थित औरंगजेब का मकबरा वक्फ की संपत्ति है? आगरा की जामा मस्जिद भी वक्फ की घोषित संपत्ति है? यही नहीं, कर्नाटक के बीदर का किला और औरंगाबाद के पास स्थित मशहूर दौलताबाद किला भी वक्फ की संपत्ति है. एएसआई ने वक्फ बिल पर संयुक्त समिति को यह जानकारी दी है.

ASI ने 53 ऐतिहासिक इमारतों की सूची सौंपी

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने एक प्रजेंटेशन वक्फ बिल पर बनी संसद की संयुक्त समिति के सामने पेश किया.
एनडीटीवी के मुताबिक एएसआई ने समिति को 53 ऐसी ऐतिहासिक इमारतों की सूची सौंपी है जो एएसआई के संरक्षण में हैं, लेकिन उन्हें वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया है. हालांकि अभी ASI ने अपने 24 जोनों में से केवल 9 जोनों की ही सूची सौंपी है. दिल्ली भी उन जोनों में शामिल है जिसकी सूची अभी नहीं सौंपी गई है.

औरंगजेब का मकबरा कब बन गया वक्फ की संपत्ति?

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के मुताबिक औरंगजेब के मकबरे को सन 1951 में संरक्षित इमारत घोषित किया गया था, लेकिन सन 1973 में वह वक्फ की संपत्ति घोषित हो गया. इसी तरह सन 1920 से एएसआई द्वारा संरक्षित आगरा की जामा मस्जिद भी वक्फ संपत्ति घोषित हो चुकी है. इसी तरह सन 1951 से संरक्षित बीदर का किला भी 2005 में जबकि 1951 से ही संरक्षित दौलतबाद का किला 1973 में वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया. इन इमारतों में मक्का मस्जिद (2005 में वक्फ घोषित ), गुलबर्गा किला और डामरी मस्जिद भी शामिल हैं.

वक्फ और एएसआई के बीच विवाद

एएसआई ने कहा कि वक्फ का दावा होने से उसके और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. एकतरफा फैसलों से एएसआई प्रबंधन और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद पैदा होता है. संरक्षित इमारतों में आर्थिक गतिविधियां शुरू हो जाती हैं. इमारतों के ढांचे में बदलाव करके निर्माण किया जाता है जो प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अलशेष अधिनियम (AMASR) 1958 का उल्लंघन है.
एएसआई का कहना है कि मदरसे शुरू हो जाते हैं और इबादत होने लगती है. विभिन्न उद्देश्यों के लिए इमारतों के हिस्सों पर कब्जा जमा लिया जाता है. अनधिकृत लोग बिना आज्ञा के संरक्षित इमारतों में फोटो खींचते हैं.

साभार सहित

FACEBOOK TwitCount LINKEDIN Whatsapp

NewsNext | हिंदी न्यूज़ | Hindi Samachar | Latest News


© COPYRIGHT NEWSNEXT 2020. ALL RIGHTS RESERVED. Designed By SVT India