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सरहद पार पहुंची भारत के किसान आंदोलन की आवाज, जानें- किसने दिए इसको लेकर बयान

रिपोर्ट : NewsNextIndia
Uttarpradesh | आगरा

01-01-1970

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नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। बीते कुछ दिनों से दिल्‍ली के चारों तरफ हजारों किसानों ने नए कृषि कानून के खिलाफ डेरा डाला हुआ है। ये सभी किसान सरकार से इसके तहत बनाए गए तीन नए कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसके विरोध प्रदर्शन के समर्थन में कई राज्‍यों के किसान यहां पर शामिल हुए हैं। इसके समर्थन में कुछ खिलाड़ी, गायक और विरोधी दलों के नेता भी सामने आ चुके हैं। कुछ लोगों ने इसके समर्थन में अपने पदकों को भी लौटाने की बात कहकर माहौल को और गर्म करने की कोशिश की है। आपको बता दें कि किसानों ने नए कृषि कानून के वापस न लेने की सूरत में 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इसको विरोधी दलों का व्‍यापक समर्थन मिल रहा है।

कनाडा से उठी आवाज

भारत में चल रहे किसान आंदोलन की आवाज अब विश्‍व स्‍तर पर भी उठती दिखाई दे रही है। सबसे पहले इसको लेकर जो आवाज आई थी वो कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की थी। दरअसल, उन्‍होंने ये बयान उस सवाल के जवाब में दिया था जिसका संबंध भारत में चल रहे किसान आंदोलन से था। उनका कहना था कि कनाडा हमेशा से ही पूरी दुनिया में होने वाले शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार का समर्थक है। उनका ये भी कहना था कि वो किसानों और सरकार के बीच बनी दूरी को पाटने के लिए बातचीत की शुरुआत से भी काफी खुश हैं। हालांकि उनके इस बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी और इसको आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप करार दिया था। भारत का कहना था कि इस तरह के बयानों से दोनों ही देशों के बीच दूरियां बढ़ती हैं, लिहाजा इससे बचना चाहिए।

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