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UN अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा, भारत को नजरअंदाज करना मुश्किल

रिपोर्ट : NewsNextIndia
Uttarpradesh | आगरा

01-01-1970

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भारत के अंदाज और पीएम मोदी की कार्यशैली का संयुक्त राष्ट्र भी दीवाना हो गया है। यूएन महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने खुलकर इसके लिए भारत की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत बहुपक्षवाद का उत्साही एवं प्रतिबद्ध समर्थक रहा है। फ्रांसिस ने कहा कि 1.4 अरब की आबादी वाले इस दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में वैश्विक मामलों में निरंतर मजबूत योगदान देने के लिए भारत का भविष्य उज्ज्वल है। फ्रांसिस ने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस सत्र के प्रमुख के तौर पर यह टिप्पणियां अपना एक साल का कार्यकाल खत्म होने से पहले कीं।

फ्रांसिस ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है-भारत निश्चित तौर पर संयुक्त राष्ट्र में अग्रणी देश है। भारत बहुपक्षवाद का उत्साही और प्रतिबद्ध समर्थक रहा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा काफी महत्व दिया जाता है।’’ कैमरून के पूर्व प्रधानमंत्री फिलेमन यांग 10 सितंबर को महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे।

फ्रांसिस ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि विश्व निकाय में भारत की भूमिका जारी रहे और मजबूत होती रहे। उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि भारत की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की महत्वाकांक्षा है। सदस्य इस पर फैसला लेंगे कि उन्हें परिषद में कैसे सुधार करना है, सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए कौन-से देश सबसे उपयुक्त होंगे और शक्तियों का विभाजन किस तरह से किया जाएगा।

भारत को नजरअंदाज करना मुश्किल

फ्रांसिस ने कहा, ‘भारत के 1.4 अरब की आबादी वाला लोकतंत्र होने के कारण, मुझे विश्वास है कि कोई भी इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि भारत का वैश्विक मामलों में निरंतर मजबूत योगदान देने के लिए उज्ज्वल भविष्य है।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग के संदर्भ में ‘ग्लोबल साउथ’ में अन्य विकासशील देशों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने में एक उन्नत विकासशील देश के रूप में ‘‘बड़ी प्रतिबद्धता’’ का प्रदर्शन किया है, जिसके लिए भारत सरकार की सराहना की जानी चाहिए।

पिछले सप्ताह, संयुक्त राष्ट्र में भारत के मनोनीत स्थायी प्रतिनिधि पार्थवनेनी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में फ्रांसिस से मुलाकात की थी। राजदूत हरीश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्हें पारस्परिक हित के विभिन्न मुद्दों पर फ्रांसिस के विचारों से लाभ हुआ। उन्होंने फ्रांसिस के कार्यकाल के दौरान भारत को मिले महासभा के समर्थन की सराहना भी की।

साभार सहित

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