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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन जंग को रुकवाने में भारत की भूमिका स्‍पष्‍ट की, बताया चार पॉइंट फॉर्मूला

रिपोर्ट : NewsNextIndia
Uttarpradesh | आगरा

01-01-1970

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व्‍लादिमीर पुतिन ने हाल ही में बयान दिया कि भारत और चीन रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को रुकवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इसके तुरंत बाद राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल मॉस्‍को की यात्रा पर चले गए. बर्लिन में मौजूद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को रूस-यूक्रेन जंग को रुकवाने में भारत की भूमिका स्‍पष्‍ट की.

उन्‍होंने बताया कि भारत ने जंग रुकवाने के लिए रूस के सामने 4 पॉइंट फॉर्मूला रखा है. युद्ध को लेकर पूछे गए सवाल पर एस जयशंकर ने कहा, ‘भारत चार सिद्धांतों में विश्वास करता है. 1. यह शांति का समय होना चाहिए; 2. युद्ध के मैदान पर कोई समाधान नहीं होगा; 3. किसी भी सफल शांति प्रक्रिया के लिए रूस को बातचीत की मेज पर होना चाहिए; और 4; भारत संघर्ष को हल करने का तरीका खोजने की कोशिश में “चिंतित और संलग्न” है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीते दो महीने में मॉस्को और कीव की यात्राओं के बारे में बताते हुए जयशंकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के मौजूदा रूस दौरे का भी जिक्र किया. उन्‍होंने कहा, “हम नहीं मानते कि विवादों को युद्ध के जरिए सुलझाया जा सकता है. जब कोई चर्चा होती है, तो हमारा मानना ​​है कि रूस को इसमें शामिल होना चाहिए. जहां तक ​​भारत का सवाल है, यह रूस और यूक्रेन की इच्छा पर निर्भर करता है. हम उनसे लगातार बात करते हैं”

युद्ध पर चीन की रणनीति साबित हुई फ्लॉप

एक तरफ भारत रूस-यूक्रेन जंग को रुकवाने में हर संभव कोशिश कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ इस मामले में चीन का सुस्‍त रुख भी सामने आया. पहले रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन और फिर इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने भी यह कहा कि भारत और चीन युद्ध रोकने में भूमिका निभा सकते हैं. दबाव बढ़ने पर चीनी विदेश मंत्रालय का एक खानापूर्ति भरा बयान सामने आया. हालांकि चाह कर भी चीन इस मामले में कुछ नहीं कर सकता. ऐसा इसलिए क्‍योंकि भले ही चीन और रूस के बीच अच्‍छे संबंध हों लेकिन चीन और यूक्रेन के करीबी रिश्‍ते नहीं हैं.

पीएम मोदी का मास्‍टर स्‍ट्रोक

भारत और रूस की दोस्‍ती जगजाहिर है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन का दौरा कर एक मास्‍टर स्‍ट्रोक चला था. वो यूक्रेन जाने वाले पहले भारतीय पीएम बने थे. दोनों देशों से करीबी के कारण भारत के पास जो एडवांटेज है, चीन उससे कोसो दूर है. अब पीएम मोदी ने अजित डोभाल को बिना देरी किए मॉस्‍को के दौरे पर भेज दिया है तकि जल्‍द से जल्‍द शांति बहाली की जा सके.

साभार सहित

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