कोरोना काल में बढ़ गया है मेडिकल कचरे का खतरा, उचित निस्तारण का अभाव बढ़ा रहा समस्या
01-01-1970
1K ने देखा
अभिषेक कुमार सिंह। कोरोना वायरस के कारण पैदा हुई महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन के आने की उम्मीद के साथ ही यह भरोसा भी पूरी मानव सभ्यता के मन में पैदा हो गया है कि आखिरकार जीत हमारी ही होगी, एक खतरनाक वायरस की नहीं। पर कुछ मुश्किलें हैं जो इस उम्मीद के रास्ते में अड़चनें डालती प्रतीत हो रही हैं, बल्कि अंदेशा यह भी है कि उन समस्याओं को लेकर हमारा रवैया पहले जैसा ही रहा, तो कोविड-19 के बाद कोई दूसरी महामारी दुनिया की कठिनाई बढ़ाने के लिए पैदा हो जाएगी। यह समस्या चिकित्सकीय कचरे (मेडिकल वेस्ट) की है। यह समस्या हमारे देश में पहले से मौजूद थी, पर कोरोना के दौर में यह और ज्यादा बढ़ती नजर आई है।
हाल में दिल्ली तक में जगह-जगह कूड़े के ढेर में कोरोना से बचाव की किटों और अन्य चिकित्सकीय वस्तुओं की कचरे के ढेर में मौजूदगी की सूचनाएं मिली हैं। इनके मद्देनजर डॉक्टरों ने भी यह अंदेशा जताया है कि दिल्ली में कोरोना वायरस के तेज प्रसार की एक बड़ी वजह कोविड मरीजों के बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निस्तारण नहीं होना भी हो सकता है, लेकिन समस्या अकेले कोविड से जुड़े कचरे की नहीं है। इस मामले में वर्षो से शिकायतें की जाती रही है कि निजी पैथोलॉजी लैब्स और बड़े-बड़े अस्पतालों तक में बायोमेडिकल कचरे का सही ढंग से निस्तारण नहीं किया जाता है, जिससे जानवर और इंसान भी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।