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विश्व एड्स दिवस: नफ़रत नही, सामान्य व्यवहार करे

रिपोर्ट :
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01-01-1970

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 गया था। विश्व में एड्स दिवस को सबसे पहले अगस्त 1987 में जेम्स डालूँ बुन और थॉमस नेटर नाम के व्यक्तियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन में एड्स पर ग्लोबल कार्यक्रम के लिए आधिकारिक रूप में जिनेवा,स्वजरलैंड में  नियुक्त थे। दोनो ने डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल प्रोग्राम और एड्स के डायरेक्टर जोनाथन मान के सामने विश्व एड्स दिवस मनाने का सुझाव रखा। जोनाथन को विश्व एड्स दिवस मनाने का विचार अच्छा लगा और उन्होंने 1 दिसंबर 1988 से विश्व एड्स दिवस मनाने के लिए चुना|  इसमें 8 सरकारी सर्वजनिक स्वास्थ्य दिवसों में से एक विश्व एड्स दिवस को शामिल किया गया। शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से जोड़कर देखा जाता था जबकि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता था। इसलिए सन 1996 में एचआईवी /एड्स पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार व प्रसार का काम संभालना और सन 1997 से विशेष अभियान के तहत संचार रोकथाम व शिक्षा पर काफी काम किया| हम सभी जानते हैं कि असुरक्षित शारीरिक संबंध अनेक लोगों के साथ या समलैंगिक संबंध बनाने से यह एचआईवी /एड्स होता है अन्य कारण से भी हम इससे ग्रसित हो सकते है जैसे संक्रमित खून के चढ़ाने से या संक्रमित मरीज की नीडल को अन्य मरीज के इस्तेमाल करने से से भी हो जाता है| हमें गर्भधारण के समय एचआईवी टेस्ट अवश्य कराना चाहिए ताकि शुरुआती दोर में माँ व बच्चे को स्वस्थ रखा जा सके। यह लाइलाज बीमारी है पर अगर इसका शुरुआती दौर में इलाज हो जाये तो इस जानलेवा बीमारी बनने से रोका जा सकता है। एड्स में मनुष्य की रोगों से लड़ने वाली प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है |तब वह किसी भी बीमारी से ग्रस्त होने पर मृत्यु की दशा में पहुंच जाता है। एक सबसे बड़ी भ्रांति आज समाज में थी जो इसी कार्यक्रम के द्वारा जागरूक करके दूर की गई है| यह कोई छुआछूत ,हाथ मिलाने से ,पास बैठने से ,बात करने से नहीं ,खाना परोसने से

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