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नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। 7 दिसंबर का दिन सेना और इसके जवानों के लिए काफी खास माना जाता रहा है। इसकी वजह ये है कि इस दिन भारतीय सेना अपने बहादुर जवानों के कल्याण के लिए लिए भारत की जनता से धन संग्रह करती है। इस दिन को सशस्त्र सेना झंडा दिवस कहा जाता है। भारतीय सेना की तरफ से गणमान्य से लेकर आम लोगों को भारतीय सशस्त्र सेना के प्रतीक चिन्ह झंडे को लगाकर उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि वो अपने बहादुर जवानों के कल्याण के लिए कुछ आर्थिक सहयोग इस झंडे में शामिल लाल, गहरा नीला और हल्के नीले रंगों की पट्टियां तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करती हैं। 1949 में पहली बार इस दिन को मनाया गया था। तब से लेकर आज तक ये निरंतर मनाया जा रहा है।
ये दिन हमें इस बात का भी अहसास दिलाता है कि सीमा पर मुश्किल हालातों में डटे जवानों के परिजनों के लिए हम भी दूसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इस दिन को मनाने के पीछे तीन अहम मकसद हैं। इनमें पहला मकसद युद्ध के दौरान होने वाली हानि में सहयोग करना, दूसरा मकसद सेना के जवानों और उनके परिवारों की मुश्किल हालात में मदद करना, तीसरा मकसद रिटायर हो चुके जवानों और उनके परिवार का कल्याण करना।